नेशनल डेस्क। पहर बदलने के साथ तारीख भी बदल गई थी। रात के अंधेरे पर दिन का उजाला हावी हो चुका था और शनिवार की सुबह शहर अपनी रवानगी पर फिर से दौड़ने लगा था। नहीं बदले थे तो सिर्फ मेडिकल कॉलेज के हालात। पुलिस और अफसरों की गाड़ियों के हूटरों की आवाजों के बीच उन महिलाओं का चीखें सुनाई दे रहीं थीं, जो अपने बच्चों को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज लेकर आईं थीं, लेकिन उनकी लाश लेकर घर वापस जाने वालीं थीं।
हमीरपुर निवासी याकूब की पत्नी नजमा ने आठ नवंबर को दो जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था। नजमा और याकूब की पहली संतानें थीं। घर में नन्हीं परियों के आने से सभी बेहद खुश थे। लेकिन, दोनों बच्चियां बेहद कमजोर थीं। हमीरपुर के अस्पताल में उन्हें बताया गया था कि बच्चियों को वे झांसी मेडिकल कॉलेज ले जाएं, यहां वे ठीक हो जाएंगी।
नजमा की खुशी को शुक्रवार रात ग्रहण लगा
नौ नवंबर को उन्होंने बच्चियों को मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती करा दिया था। यहां उनकी सेहत स्थिर बनी हुई थी। डॉक्टर बच्चियों के 10-15 दिन में ठीक होने का भरोसा दे रहे थे, जिससे नजमा खुश थीं। लेकिन, उसकी खुशी को शुक्रवार की रात ग्रहण लग गया। वार्ड में आग लगने से दोनों बच्चियों की मौत हो गई। इसके बाद से नजमा के आंसू नहीं थमे। शनिवार को हमीरपुर से परिवार की अन्य महिलाएं भी यहां पहुंच गई थीं, जो नजमा को लगातार ढांढस बंधा रहीं थीं, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हो रहा था।
उसके मुंह से चीखें निकल रहीं थीं। रोते-रोते बेसुध हो जाने पर उसकी चीखें शांत होती थीं। यही स्थिति ललितपुर निवासी सोनू की पत्नी संजना की बनी हुई थी। सोनू और संजना की एक साल पहले शादी हुई थी। इसी महीने उसने बेटे को जन्म दिया था। सब बेहद खुश थे। बच्चे के बीमार होने पर उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया गया था। सोनू और संजना बीमार बेटे की देखरेख में जुटे हुए थे।
उम्मीद थी कि कुछ दिनों में बेटा ठीक हो जाएगी और वे खुशी-खुशी अपने घर वापस लौट जाएंगे। लेकिन, उनकी यह तमन्ना पूरी नहीं हो सकी। शनिवार की शाम वे बेटे का शव लेकर घर की ओर रवाना हुए। सोनू तो अपने अंदर की पीड़ा को दबाए हुए था, लेकिन संजना के आंसू नहीं थम रहे थे। कमोबेश इन परिस्थितियों से वे सभी परिवार गुजर रहे थे, जिन्होंने मेडिकल कॉलेज में शनिवार की रात हुए अग्निकांड में अपनों को खो दिया था। उन्हें ढांढस बंधाने के लिए लोगों के पास शब्द भी कम पड़ रहे थे।
मेडिकल की आग पर गरमाया सियासी पारा
झांसी मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में आग लगने से 10 नवजातों की हुई मौत के बाद शनिवार को लखनऊ से लेकर झांसी तक सियासी पारा गरमाया रहा। इस मुद्दे पर सपा, बसपा और कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को घेरा। वहीं, झांसी में सपा नेता पीड़ित परिवारों के साथ धरने पर बैठे रहे। उन्होंने प्रशासन पर पीड़ित परिवारों की मदद न करने का आरोप लगाया। घटना के बाद कई बच्चों के बारे में जानकारी न मिल पाने से आक्रोशित परिजन मेडिकल कॉलेज के गेट नंबर दो पर धरने पर बैठ गए।
उनके समर्थन में सपा नेता रोहित सिंह पारीछा, छात्र सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष स्वदेश यादव, जिलाध्यक्ष अयान अली हाशमी, विश्व प्रताप सिंह अन्य सपाइयों के साथ धरने पर बैठ गए। इस दरम्यान वे प्रदेश सरकार और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उनकी पुलिस से कई बार तीखी नोकझोंक भी हुई। शाम तकरीबन चार बजे तक यही स्थिति बनी रही। इसके बाद सपा नेता रोहित सिंह पारीछा के साथ बच्चों के परिजन को उन सभी अस्पतालों में ले जाया गया, जहां बच्चों को इलाज किया रहा था।
इसके अलावा उन्हें पोस्टमार्टम रूम भी ले जाया गया। परिजन केवल एक बच्चे की ही शिनाख्त कर पाए। वह बच्चा एक निजी अस्पताल में मिला, जिसका वहां इलाज हो रहा था।
नेताओं का जमावड़ा
मेडिकल कॉलेज परिसर में दिन भर सियासी दलों के नेताओं का जमावड़ा बना रहा। भाजपा महानगर अध्यक्ष हेमंत सिंह परिहार, जिला महामंत्री अमित साहू, सहकारी भारती के अंचल अड़जरिया, समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष तनवीर आलम खान आदि ने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका हाल जाना।