रवि गुप्ता (चीफ एडिटर)
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद मामले में रिकॉल आवेदन पर सुनवाई पूरी हो गई। इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि सभी 15 वादों में मांगी गई राहतें अलग-अलग हैं, उनकी एक साथ सुनवाई उचित नहीं है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की कोर्ट कर रही है। बुधवार को करीब डेढ़ घंटे चली सुनवाई के बाद रिकॉल प्रार्थना पत्र पर फैसला सुरक्षित कर लिया गया।
न्यायालय ने श्रीकृष्ण भूमि व ईदगाह विवाद में दाखिल किए गए सभी 15 वाद को एक साथ सुनने का आदेश 11 जनवरी 2024 को दिया था। सिविल वादों की पोषणीयता पर सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने वाद बिंदु तय करने के लिए तारीख नीयत की थी। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दर्ज कराते हुए रिकॉल प्रार्थनापत्र का निस्तारण करने की मांग की थी।इसके बाद अदालत ने दोनों पक्षों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय दिया था।
बुधवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग से तस्नीम अहमदी ने रिकॉल प्रार्थना पत्र पर दलील दी कि जितने भी शूट दाखिल किए गए सभी की प्रार्थनाएं अलग-अलग हैैं। इनमें कोई समानता नहीं है। सभी वादों को संयुक्त करने का आदेश पोषणीय नहीं है, क्योंकि सभी पक्षकारों से सहमति नहीं ली गई है। उन्होंने कोर्ट से सभी मुकदमों को एक साथ सुने जाने के आदेश को वापस लेने की प्रार्थना की।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने इसका विरोध किया गया। अधिवक्ता सत्यबीर सिंह ने दलील दी कि विधायिका ने न्यायालय को दो या दो से अधिक वादों को एकीकरण कर सुनवाई करने का विवेकाधिकार दिया है। इसी के तहत न्यायालय ने सभी वादों को एक साथ सुनने का फैसला लिया व सुनवाई शुरू हो गई। इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति पर बहस नहीं की। बल्कि वाद की पोषणीयता पर जोर दिया। इससे यह साबित होता है कि प्रतिवादी की मौन स्वीकृति रही।
अब मुकदमे के इस स्टेज पर मुस्लिम पक्ष की ओर से न्यायालय की ओर से एकीकरण के फैसले पर आपत्ति नहीं की जा सकती है। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दलील दी कि रिकॉल प्रार्थना मामले को उलझाने के लिए दाखिल किया गया है। सभी विवादों का एकत्रीकरण कर तत्काल वाद बिंदु तय कर सुनवाई करने की प्रार्थना की। वहीं इनपर्सन आशुतोष पांडेय ने दलील दी कि मुस्लिम पक्ष चाहता कि वाद बिंदु न तय हो पाए इसीलिए तरह-तरह के आवेदन दाखिल किए जा रहे हैं।