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नेशनल डेस्क। त्रिवेणी तट के अलावा गंगा-यमुना के घाटों पर वेदियां सजाकर व्रतियों ने भगवान सूर्य का आह्वान किया। दीपदान के बाद खरना कर 36 घंटे का निर्जला व्रत धारण किया गया। बृहस्पतिवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देने के लिए आस्था का जनसैलाब उमड़ेगा।
संगम तट पर व्रतियों ने वेदी बनाई और हल्दी-चंदन के टीके लगाकर षष्ठी माता की आराधना के गीत गाए। दोपहर बाद से ही घाटों पर वेदियां बनाई जाती रहीं और दीप भी जलाए जाते रहे। वेदियों की पूजा कर भगवान सूर्य का व्रतियों ने आह्वान किया। इसके बाद घरों पर पहुंचकर खीर खाकर खरना किया।
व्रत के दौरान व्रती संतान की प्राप्ति, बेटी के लिए सुयोग्य वर, बेटे के लिए नौकरी, परिवार में समृद्धि और सबके आरोग्य की कामना करती हैं। नेपाल से आईं प्रथम महिला शंकराचार्य जगदगुरु स्वामी हेमानंद गिरि ने भी निर्जला व्रत रखकर बृहस्पतिवार की शाम राम घाट पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी।